Thursday, September 25, 2014

अनुवादक कैसा प्राणी होता है?

हिंदी और अंग्रेज़ी का विरोध पुराना है
लेकिन बदलते दौर में रिश्ते भी बदले
दोनों को जोड़ता है अनुवाद का पुल
इसका काम को अंजाम देने वाले प्राणी
को अनुवादक की संज्ञा से नावाजा जाता है.

अनुवादके के बारे में कहा जाता है कि
उसको स्त्रोत और लक्ष्य भाषा दोनों पर
एक समान अधिकार होना चाहिए
ताकि अनुवाद कार्य में शब्दों के अभाव
की बाधा न पड़े....

इस सिलसिले में एक प्रोफ़ेसर कह रहे थे कि
अनुवादक के पास विपुल शब्द भंडार होता है
इस मामले में तो वह लेखक को भी मात देता है
लेकिन शायद वह भूल रहे थे कि एक लेखक भी
अच्छा और काबिल-ए-तारीफ़ अनुवादक हो सकता है

कुछ पुराने अनुवादक शायद अपनी बातों में
मिलाते हैं थोड़ा अतिश्योक्ति का पुट ताकि
बचा रहे अनुवाद का रोमांच और रहस्य
छात्रों की जिज्ञासा भी कायम रहे क्योंकि
अनुवाद तो करके आने वाली चीज़ हैं....

रुचि, अध्ययन और लगातार मेहनत से
एक कृति बदलती है रफ़्ता-रफ़्ता कलेवर
उसे भी तलाश होती है एक पाठक की
जो उसे पढ़े और उसके भाव को पहुंचा सके
एक भाषा से परे दूसरी भाषाओं के लोगों तक
ताकि एक छोर से शुरू हुआ संवाद सफ़र
निरंतर आगे बढ़ता रहे......

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